हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ईरान के मरकज़ी राज्य में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि के दफ्तर में आयोजित तफ़्सीर के एक सत्र में हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन हुसैनीपूर ने कुरआन करीम के ऊँचे दर्जे और गहरे अर्थों पर बात करते हुए कहा: कुरआन की असली हकीकत को समझना सिर्फ़ पैग़म्बर-ए-अकरम (स) और उनके अहले बैत (अ) तथा आज के दौर में हज़रत वली-ए-अस्र (अ) के लिए ही संभव है।
उन्होंने कहा कि कुरआन की सभी शिक्षाएं या तो तक़वा की दावत देती हैं या तक़वा का नतीजा हैं। इनका आख़िरी मकसद इंसान की सही परवरिश और तरबियत है।
हुज्जतुल इस्लाम हुसैनीपूर ने आगे कहा: मोमिन ही मुत्तक़ीन की बुनियाद हैं, और उन्हें कुरआन की आयत وَاتَّقُوا اللَّهَ مَا اسْتَطَعْتُمْ के अनुसार अपनी क्षमता के मुताबिक तक़वा के रास्ते पर चलना चाहिए।
उन्होंने इस ओर ध्यान दिलाया कि दीन के खिलाफ़ दुश्मनी कभी खत्म नहीं होती। दुश्मन हमेशा अपनी कोशिशों में लगा रहता है, इसलिए हमें भी बाहरी और अंदरूनी दुश्मनों, जिनमें “नफ़्स-ए-अम्मारा” यानी गुनाह की ओर खींचने वाला मन भी शामिल है, के खिलाफ़ डटे रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बेहयाई, ज़ख़ीरा-अंदोज़ी और सांस्कृतिक हमला, ये सब दुश्मन के ऐसे हथकंडे हैं जिनसे वो लोगों को दीन से दूर करना चाहता है, लेकिन इन सब कोशिशों के बावजूद यह कामयाब नहीं होगा।
अराक शरह के इमाम जुमा ने कहा: मोमिन इंसान को पूरे यक़ीन और ताकत के साथ हक़ के रास्ते पर मज़बूती से कायम रहना चाहिए।
 
             
                 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        
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